कर्नल सोफिया कुरैशी: ऑपरेशन सिंदूर में भारत की निर्णायक भूमिका की प्रतीक
7 मई 2025 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस महत्वपूर्ण सैन्य अभियान की जानकारी देने के लिए भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जो भारतीय सैन्य इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बन गया।
कर्नल सोफिया कुरैशी: एक प्रेरणादायक सैन्य अधिकारी
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी हैं, जिनका सैन्य करियर उपलब्धियों से भरा हुआ है। वडोदरा, गुजरात से ताल्लुक रखने वाली सोफिया ने 17 वर्ष की आयु में सेना में प्रवेश किया। वह 2016 में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं, जिसमें 18 देशों ने भाग लिया था। इसके अलावा, उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में भी सेवा दी है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
कर्नल कुरैशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत 1:05 बजे से 25 मिनट तक चले हमलों में नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन हमलों में किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया और नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए अत्यधिक सावधानी बरती गई। यह अभियान उन निर्दोष लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से किया गया, जो पहलगाम हमले में मारे गए थे।
महिला नेतृत्व: एक सशक्त संदेश
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व करना न केवल सैन्य रणनीति का हिस्सा था, बल्कि यह उन महिलाओं को श्रद्धांजलि भी थी, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पति खो दिए। ‘सिंदूर’ नाम भी इसी भावना को दर्शाता है, जो भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस निर्णय ने देश और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है और महिलाओं की भूमिका को सशक्त रूप से स्वीकार करता है।
व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा
कर्नल कुरैशी का सैन्य पृष्ठभूमि गहरा है। उनके दादा सेना में सेवा दे चुके हैं, और उनके पति भी एक अग्रिम पंक्ति के युद्धक इकाई के कमांडर हैं। उनकी यह पारिवारिक पृष्ठभूमि और व्यक्तिगत समर्पण उन्हें एक प्रेरणास्पद सैन्य अधिकारी बनाते हैं।
निष्कर्ष
कर्नल सोफिया कुरैशी का नेतृत्व और साहस भारतीय सेना की शक्ति और संवेदनशीलता दोनों का प्रतीक है। उनकी भूमिका ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दर्शाया, बल्कि महिलाओं की सशक्त भागीदारी को भी उजागर किया। उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
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